माँ कात्यायनी
नवरात्रि के छठे दिन हम माँ कत्यायानी की पूजा अर्चना करते है। इस दिन हम पूजा करने के लिए सुबह नहाने के बाद साफ वस्त्र धारण करते है। फिर पूजा पाठ करते है। माँ कत्यायानी देवी को पीला रंग बहुत ज्यादा प्रिय है।
इसलिए पूजा के लिए माँ कत्यायानी देवी की पूजा अर्चना के लिए पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। माँ को अक्षत, रोली, कुमकुम, और पुष्प अर्पित करना चाहिए, और माता की आरती और मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे माँ प्रसन्न होती है।
माँ कत्यायानी की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही माँ की पूजा अर्चना करने से मनचाहा जीवनसाथी का योग बनता है। माँ कत्यायानी को फलदायनी भी कहा जाता है। अज्ञान और अन्याय के प्रति सकरात्मक क्रोध माँ कत्यायानी का प्रतीक है।
महर्षि कत्यायान को अपने पुत्री के रूप मे प्राप्त करना चाहते थे, जिस कारण महर्षि कत्यायान ने घोर तपस्या की। महर्षि कत्यायान की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी प्रम्बा ने उनको वरदान दिया। तब वो उनकी पुत्री के रूप मे प्रगट हुई।
माँ कत्यायानी चार भुजाओं मे अस्त्र, शस्त्र और कमल है। इनका वाहन सिंह है। माँ कत्यायानी शहद अर्पित करना शुभ माना जाता है। इनको देवी, शक्ति, और जगदम्बा भी कहते है।