माँ स्कंदमाता
नवदुर्गा मे हम देवी माँ के सभी रूपों की पूजा करते है उसमे से हम पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा करते है।
माँ स्कंदमाता कमल पर विराजमान है। इसीलिये माँ को पद्मसानी भी कहते है। इनकी पूजा उमा, गौरी, पार्वती, माता महेश्वरी के रूप मे भी पूजा जाता है। देवी माँ अपने भक्तजनों पर अपनी कृपा हमेशा बनाये रखती है।
स्कंदमाता का क्या मतलब होता है। स्कंद का मतलब भगवान कर्तिकेय जी है और माता का मतलब माँ होता है। इसीलिये इनके नाम का मतलब ही स्कंद की माता होता है। जब देवासुर संग्राम हुआ था वह सेनापति थे और इनकी माता माँ दुर्गा थी और इस कारण माँ दुर्गा के स्वरूप को माँ स्कंदमाता कहा जाने लगा।
स्कंदमाता हिमलाय की पुत्री है इसीलिये इनको माँ गौरी भी कहते है। माता स्कंदमाता की पूजा करने से अलौकिक तेज की प्रप्ति होती है। संतान की इच्छा रखने वाले भक्तजन को माता स्कंदमाता की पूजा अर्चना करनी चाहिए। ताकि संतान प्राप्ति मे आ रही हर बाधा को माँ स्कंदमाता दूर कर आपकी मनोरथ को पूरी करे।