मैं उतना सरल नहीं हूं जितना दिखता हूं।
-लाल बहादुर शास्त्री
देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की जयंती 2अक्टूबर (2 October) को मनाई जाती है. लाल बहादुर शास्त्री ने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया था. शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में दो अक्टूबर, 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था. देश की आजादी में लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का खास योगदान है. साल 1920 में शास्त्री (Shastri) भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे. स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं. शास्त्री ने ही 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था.
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय(अब पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन) में हुआ था। उनको घर में सबसे छोटे होने के नाते प्यार से 'नन्हें' बुलाया जाता था। शास्त्री जी के पिता का नाम मुंशी प्रसाद श्रीवास्तव था और माता का नाम राम दुलारी था। शास्त्री जी की पत्नी का नाम ललिता देवी था।
बचपन में ही शास्त्री जी के पिता की मौत होने के कारण वह अपनी मां के साथ नाना के घर मिर्जापुर चले गए, जहां उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की।
शास्त्री जी को लेकर कहा जाता है कि उन्होंने विषम परिस्थितिओं में पढ़ाई जारी रखी। गांवों में स्कूल की कमी होने के कारण वह नदी तैरकर रोज स्कूल जाया करते थे।
लाल बहादुर शास्त्री जब काशी विद्यापीठ से संस्कृत की पढ़ाई करके निकले तब उन्हें 'शास्त्री' की उपाधि दी गई। इसके बाद उन्होंने अपने नाम के आगे शास्त्री लगा लिया।
लाल बहादुर शास्त्री जी का विवाह सन् 1928 में ललिता शास्त्री के साथ हुआ, उनकी दो बेटियांऔर चार बेटे थे।
16 साल की उम्र में शास्त्री जी ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और गांधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। देश के अन्य नेताओं की भांति शास्त्री जी में भी देश को आजाद कराने की ललक थी लिहाजा वह 1920 में ही आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। उन्होंने 1921 के गांधी से असहयोग आंदोलन से लेकर कर 1942 तक अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान कई बार उन्हें गिरफ्तार भी किया गया और पुलिसिया कार्रवाई का शिकार बने।
भारत की आजादी के बाद शास्त्री जी 1951 में दिल्ली आ गए और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों में काम किया। उन्होंने रेल मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री समेत कई मंत्री पद संभाले।
साल 1964 में उस वक्त देश के प्रधानमंत्री बने, जब 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई। देश भुखमरी की समस्या से गुजरने लगा था। उस संकट के काल में लाल बहादुर शास्त्री ने अपना तनख्वाह लेना बंद कर दिया। देश के लोगों से लाल बहादुर शास्त्री ने अपील की थी कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें।सेना के जवानों और किसानों महत्व बताने के लिए उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा भी दिया।
उन्होंने कहा कि भारत में बारे में सबसे खास चीज है कि यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी और अन्य धर्मों के लोग हैं। यहां मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे चर्च सभी कुछ है। बस यही अंतर भारत और पाकिस्तान में है।
उन्होंने 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में अंतिम सांस ली थी. 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद (Tashkent) में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद (11 जनवरी) लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मृत्यु हो गई. कुछ लोग उनकी मृत्यु को आज भी एक रहस्य के रूप में देखते हैं.
अति उत्तम
ReplyDeleteनमन
ReplyDeleteHe was a great personality.
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