🌹🌹प्रयागभूमी ब्लॉग की तरफ से सभी ✍️हिन्दी यूजर्स को हिन्दी दिवस की हार्दिक🙏 शुभकामनाएं🌹🌹
14 सितंबर 2023 के दिन को देश भर में हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। इस खास दिन के मौके पर हिंदी के सम्मान और प्रोत्साहन के लिए देश में अलग अलग जगहों पर कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
हिंदी दुनिया की सरल, समृद्ध और पुरानी भाषाओं में से एक है। हिंदी भारत की राजभाषा भी है। यह देश में सबसे ज्यादा और दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी का साहित्य बेहद समृद्ध है और दुनिया भर में लोकप्रिय भी है। हिंदी पढ़ना बहुत आसान है | शब्द वैसे ही लिखे जाते हैं जैसे वे उच्चारित होते हैं।
भारत के अलावा, मॉरीशस, सूरीनाम, नेपाल, त्रिनिदाद और टोबैगो, संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका सहित अन्य बहुत से देशों में भी हिंदी बोली जाती है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है |
2001 की भारतीय जनगणना में भारत में 42 करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिंदी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में ८,६३,०७७(8,63,077) मॉरीशस में ६,८५,१७०(6,85,170); दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२(8,90,292); यमन में २,३२,७६०(2,32,760); युगांडा में १,४७,०००(1,87,000); सिंगापुर में ५,०००(5,000); नेपाल में ८(8) लाख; जर्मनी में ३०,०००(30,000) हैं। न्यूजीलैंड में हिंदी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है।
14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा की ओर से हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। भारत दशकों की गुलामी से बाहर निकला था और करीब 200 साल तक अंग्रेज यहां पर राज करके गए थे। ऐसे में ब्रिटिश हुकूमत की ओर से भारत की मुख्य भाषा को दबाने और इसका कमजोर करने की कोशिश की गई।
आजादी के बाद भी लोगों की विचारधारा में बदलाव नहीं आया। हिंदी को हीन भावना से देखा जाने लगा और अंग्रेजी बोलने वाले लोगों को उच्च स्तरीय माना जाने लगा। ऐसे में हिंदी को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत थी और इसके लिए कुछ फैसले लिए गए। इन्ही में से एक हिंदी दिवस को मनाए जाने का फैसला था। हिंदी को राजभाषा बनाने की निर्णय किए जाने के बाद हर क्षेत्र में हिंदी को प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर साल 1953 से पूरे भारत देश में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरुआत हुई। भारत के संविधान भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में हिन्दी को राजभाषा बनाने के संदर्भ में लिखा गया है, 'संघ (भारत) की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी और संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।'
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।। - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
भावार्थ:
निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है।
मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है।
विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान,
सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिये।