इलाहाबादी अमरूद |
अमरुद नाम संस्कृत के अमरुद्ध शब्द का अपभ्रंस है । आम के प्रभाव को रुद्ध (रोकने) करने की ताकत रखने वाला फल अमरुद्ध होता है यही प्रचलित शब्द "अमरुद" है ।
अमरूद (Psidium guajava) भारत के महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फलों में से एक है। यह आम, केला और साइट्रस के बाद चौथा सबसे महत्वपूर्ण फल है।
इलाहाबादी सेबिया अमरूद (इलाहाबादी मेवा ) का कोई जोड़ नहीं है। सेब की शक्ल में छोटे और बेहद खूबसूरत दिखने वाले इन अमरूदों ने सबको पागल और दीवाना ( बावला , उन्मत्त) बना रखा है। बहुत से लोग तो सेबिया को ही सेब समझ लेते हैं। खास बात यह है कि सेबिया नस्ल का अमरूद किसी दूसरे शहर में पैदा नहीं होता।
इलाहाबादी अमरूद की खुशबू यूपी के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी पहुंचने लगी है। विश्वप्रसिद्व इलाहाबादी अमरूद का जादू लोगों के सिर चढकर बोल रहा है। यहां के अमरूद ने अपनी मिठाव व रंग के कारण लोगों के बीच खासी पहचान बनाई है।
इलाहाबादी अमरूद से में सबसे ज्यादा डिमांड सुर्खा या सुर्खाब अमरूद की है। इसकी पहचान अपनी विशेष लाल रंगत व लाजबाव स्वाद के कारण बना रखा है। मार्केट में इसकी डिमांड सर्वाधिक रहती है। मार्केट में यह करीब 70 से 80 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। वहीं, इलाहाबाद स्टेशन पर इसे 90 से 100 रुपए या अधिक में भी बेच रहे हैं।
इसके अलावा स्थानीय भाषा में लाल बीजी नामक अमरूद भी लोगों के सिर चढ कर बोल रहा है। इस अमरूद की खासियत यह है कि यह उपर से हरा होता है जब कि अंदर का हिस्सा पूरा लाल होता है। इसका स्वाद भी काफी लाजवाब होता है। यह सुर्खा से करीब दो गुना महंगा होता है। बाजार में इसकी कीमत 120 से 130 रुपए प्रति किलो है।
इलाहाबादी सुर्खा अमरूद की एक किस्म है जिसमें विशिष्ट सफेद रंग के बजाय गहरे गुलाबी रंग और एक सेब की लाल बाहरी त्वचा होती है। यह फल मीठा होता है, और कुछ बीजों से सुगंधित होता है और दोनों सिरों पर थोड़ा उदास होता है। पौधे जोरदार, गुंबद के आकार के और कॉम्पैक्ट हैं। इलाहाबादी सफेदा अमरूद 30 से 40 रुपए किलो बिक रहा है। इन अमरूदों की डिमांड काफी है। इलाहाबादी अमरूद का सीजन फरवरी अंत तक रहेगा। सीजन खत्म होते ही इसकी रंगत भी चलेगी। इलाहाबादी अमरूद इलाहाबाद के आसपास क्षेत्रों के साथ-साथ दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी भेजे जाते हैं। साथ ही कई देशों में भी इसकी सप्लाई की जाती है।
पहले नवंबर शुरू होते सेबिया अमरूद की बाजार में भरमार हो जाती है। दूसरे जिलों के बाजारों में भी आपूर्ति की जाती है। विशेषज्ञों की माने तो 15 से 25 डिग्री तापमान के बीच अमरूद के फलों की बढ़त अच्छी होती है। जलवायु में नमी जितनी जल्दी आएगी फल उतने अधिक और बढ़िया होंगे
इन अमरुदों की खेती भारत के उत्तरी क्षेत्र में इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश क्षेत्र में की जाती है। इलाहाबाद की कौशाम्बी और कौरिहार -II ज़िलों के अंतर्गत लगभग 1000 हेक्टेयर भूमि पर इलाहाबादी सुर्खा की खेती की जाती है। प्रसिद्ध सुर्खा यानी सेबिया अमरूद की ज्यादा पैदावार कौड़िहार विकास खंड के बिसौना, असारीकला, मखनपुर, खरांजी, गांजा, चिल्ला, जलालपुर व कंजिया गांवों में अधिक होती है। कौशांबी जिले के चायल, मूरतगंज और नेवादा क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता वाले सेबिया अमरूद की पैदावार होती है।
अविभाजित इलाहाबाद के दोआबा (अब कौशाम्बी जिला) में तकरीबन 300 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अमरूद की बागवानी होती है। यहां मूरतगंज और चायल ब्लाक को शासन ने फलपट्टी के रूप में घोषित कर रखा है। जिले भर में होने वाली बागवानी का 75 फीसदी अकेले इन दोनों ब्लॉकों का है।
इलाहाबादी अमरूद की प्रसिद्धि सिर्फ देश के तमाम राज्यों तक ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैली है। दुबई, श्रीलंका, बांग्लादेश आदि देशों में भी इसे निर्यात किया जाता है।
अमरूद की प्रमुख किस्में / प्रजातियां
अमरूद की प्रमुख किस्मों / प्रजाति में इलाहाबादी सफेदा, सरदार 49 लखनऊ, सेबनुमा अमरूद, इलाहाबादी सुरखा, बेहट कोकोनट आदि हैं। इसके अतिरिक्त चित्तीदार, रेड फ्लेस्ड, ढोलका, नासिक धारदार , सफेदा, नर्मा , पट्ठा आदि किस्में हैं। इलाहाबादी अमरूद की अपनी एक पहचान है। इलाहाबादी बागवानी के लिए उत्तम किस्म है। इलाहाबादी व सुरखा अमरूद की नयी किस्म है।
इलाहाबादी सफेदा बागवानी हेतु उत्तम है। सरदार-49 लखनऊ व्यावसायिक दृष्टि से उत्तम प्रमाणित हो रही है। इलाहाबादी सुरखा अमरूद की नयी किस्म है। यह जाति प्राकृतिक म्युटेंट के रूप में विकसित हुई है।
मराठी (Marathi)- पेरू ( Peru)
तमिल (Tamil)- கொய்யா (Koyyā)
तेलुगु (Telgu) - గువా తమిళం (Guvā)
कन्नड़ ( Kannada)- ಸೀಬೆಹಣ್ಣು (Sībehaṇṇu)
बंगाली (Bengali) - পেয়ারা (Pēẏārā)
गुजराती (Gujarati) - જામફળ (Jāmaphaḷa)
उर्दू (Urdu) - امرود (Amrud)
अमरूद की सबसे अधिक डिमांड गल्फ कंट्री में है। इनमें सउदी अरब, कुवैत, दुबई, यूएई, कतर, बहरीन, यमन, ओमान, जार्डन आदि शामिल हैं। पीक सीजन में बड़ी मात्रा में अमरूद वहां भेजे जाते हैं।
इलाहाबादी सफेदा बागवानी हेतु उत्तम है। सरदार-49 लखनऊ व्यावसायिक दृष्टि से उत्तम प्रमाणित हो रही है। इलाहाबादी सुरखा अमरूद की नयी किस्म है। यह जाति प्राकृतिक म्युटेंट के रूप में विकसित हुई है।
अमरुद का अन्य भाषाओं में उच्चारण
Scientific name - Psidium guajava (Common guava, Yellow guava, Lemon guava)
English - Guava
हिन्दी (Hindi)- अमरूद (Amrud)मराठी (Marathi)- पेरू ( Peru)
तमिल (Tamil)- கொய்யா (Koyyā)
तेलुगु (Telgu) - గువా తమిళం (Guvā)
कन्नड़ ( Kannada)- ಸೀಬೆಹಣ್ಣು (Sībehaṇṇu)
बंगाली (Bengali) - পেয়ারা (Pēẏārā)
गुजराती (Gujarati) - જામફળ (Jāmaphaḷa)
उर्दू (Urdu) - امرود (Amrud)
उत्पादन और निर्यात
अमरूद (Psidium guajava) भारत के महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फलों में से एक है। यह आम, केला और साइट्रस के बाद चौथा सबसे महत्वपूर्ण फल है।अमरूद की सबसे अधिक डिमांड गल्फ कंट्री में है। इनमें सउदी अरब, कुवैत, दुबई, यूएई, कतर, बहरीन, यमन, ओमान, जार्डन आदि शामिल हैं। पीक सीजन में बड़ी मात्रा में अमरूद वहां भेजे जाते हैं।
Indian Production of
GUAVA (2017-18)
*Production(000 Tonnes) |
|||
Sr No.
|
State
|
Production
|
Share(%)
|
1
|
Uttar Pradesh
|
928.44
|
22.93
|
2
|
Madhya Pradesh
|
686.70
|
16.96
|
3
|
Bihar
|
427.61
|
10.56
|
4
|
Andhra Pradesh
|
229.78
|
5.68
|
5
|
West Bengal
|
215.20
|
5.32
|
6
|
Chattisgarh
|
197.18
|
4.87
|
7
|
Punjab
|
195.60
|
4.83
|
8
|
Gujarat
|
169.57
|
4.19
|
9
|
Tamil Nadu
|
155.06
|
3.83
|
10
|
Karnataka
|
140.23
|
3.46
|
Page Total
|
3,345.37
|
अमरूद में छिपे चिकित्सीय गुण
यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक फल है। इसमें विटामिन "सी' अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन "ए' तथा "बी' भी पाए जाते हैं। इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं। इससे जैम, जैली, नेक्टर आदि परिरक्षित पदार्थ तैयार किये जाते है।
यह रोग मुक्त फल है। इसके सेवन से विटामिन सी, बी व ए की कमी दूर होती है। सी रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। बी शरीर के लिए पौष्टिक एवं ए आंख की रोशनी और दांतों को मजबूत रखता है।
अमरूद को तमाम गुणों का खजाना माना जाता है। इसमें फोलेट की अच्छी मात्रा है, जिससे यह महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाता है। मां बनने की चाहत रखने वाली महिलाओं को अमरूद का सेवन जरूर करना चाहिए। वहीं, डायबिटीज के मरीजों के लिए भी यह काफी फायदेमंद है। अमरूद के सेवन से खून में सुगर का स्तर कम होता है। इसमें फाइबर अधिक मात्रा में होते हैं जो शुगर के अवशोषण और इन्सुलिन बढ़ाने में मदद करते हैं।
इसके अलावा, अमरूद में आयोडीन अच्छी मात्रा में पाई जाती है, जिससे थायरॉइड की समस्या में आराम होता है। इससे शरीर का हार्मोनल संतुलन बना रहता है। अमरूद में संतरे के मुकाबले चार गुना अधिक विटामिन सी होता है। विटामिन सी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं और कैंसर से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं। वाकई यह फल शरीर के लिए काफी लाभकारी है।
अमरूद में मौजूद पोटैशियम शरीर में सोडियम के प्रभाव को कम करता है जिससे ब्लड प्रेशर का संतुलन बना रहता है। इसके अलावा, यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। दांत दर्द में इसके पत्ते चबाने से भी काफी आराम मिलता है। इससे कब्ज भी दूर होती है।
विशेषज्ञ विशेषकर सर्दियों के मौसम में अमरूद के सेवन की नसीहत देते हैं। अमरूद कई मायनों में सेहतमंद है। यह कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर है बल्कि सेहत से जुड़े कई रोगों से दूर रखने में भी मददगार है। अमरूद को जामफल के नाम से भी जाना जाता है। इसका उपयोग कई रूपों में किया जाता है। अमरूद से जैम, जेली आदि चीजें भी बनती हैं, जो बाजार में सहज ही उपलब्ध होता है।
More information
http://nhb.gov.in/model-project-reports/Horticulture%20Crops/Guava/Guava1.htm
Mooh me paani aa Gaya Bhai...Apne gaon Ka swaad aur khusboo Yaad aa gayi...wo bachpan ki yaadein taaza ho gayi dost...
ReplyDeleteBahut badhiya
ReplyDeleteBahut badhiya
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteAwsome
ReplyDeleteBahut badhiya
ReplyDelete