माँ कालरात्रि
मंत्र - श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥
नवरात्रि के सातवे स्वरूप मे माँ दुर्गा का कालरात्रि की पूजा जाता है। माता कालरात्रि को ही महायोगनी और शुभंकरी बोला जाता है। माता कालरात्रि की विधिवत पूजा अर्चना करने से माता अपने भक्तों को काल से बचाती है, उनकी कभी भी अकाल मृत्यु नही होती है। न उनको अकाल मृत्यु का भय रहता है।
माँ कालरात्रि को गुड से बनी चीजो का भोग लगाया जाता है। माँ को नीले रंग के वस्त्र बहुत अच्छा लगता है। इसलिए इस दिन नीले रंग के कपड़े पहनते है भक्तजन। भक्तजन माँ कालरात्रि को माँ क़ाली, महाकाली, भद्रकाली और भैरवी भी बोलते है।
मां कालरात्रि के गले मे नरमुंडो की माला पहने हुए है। इनके केश खुले हुए है। और हाथ मे खप्पर और तलवार लेके चलती है। क़ाली माता के हाथ मे कटा हुए सिर से रक्त गिरता रहता है।
माँ क़ाली गधा की सवारी करती है, क्योकि गधा सेवा, वफादार, सेवा और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है। माँ क़ाली के रुद्र रूप को खुश रखने के लिए उनको नीबू की माला पहनाई जाती है। जिससे माता का आशीर्वाद सदा बना रहे है।