का बरषा सब कृषी सुखानें। समय चुकें पुनि का पछितानें॥
भावार्थ-
सारी खेती के सूख जाने पर वर्षा किस काम की? समय बीत जाने पर फिर पछताने से क्या लाभ?
समय बीतने पर सहायता व्यर्थ है।
तृषित बारि बिनु जो तनु त्यागा। मुएँ करइ का सुधा तड़ागा॥
भावार्थ-
यदि प्यासा आदमी पानी के बिना शरीर छोड़ दे, तो उसके मर जाने पर अमृत का तालाब भी क्या करेगा?
यह दोनो चौपाइयां श्री रामचरित मानस से लिए गए है । आज के समय में भी ये उतने ही महत्वपूर्ण है । यह हमको दर्शाते है की समय का कितना अधिक महत्व है । सही समय पर किया गया काम फलित होता है । समय बीत जाने के बात आप कितना भी जोर लगाओ वह फल प्राप्त नहीं होता जिसकी आप ने कामना की है ।
इसलिए समय पर कार्य करे , समय पर ही किसी की सहायता कर , समय खत्म होने के बाद सहायता का कोई महावत नही है ।