हनुमान जी महाराज की मंदिर और तालाब करीब 100 वर्ष से अधिक पुराना वहा के स्थानीय लोगो के माध्यम से बताया जाता है
ये राजा के द्वारा बनवाया गया था इसका इतिहास बहुत कम लोग को पता है यह हनुमान जी महाराज की मंदिर मनोकामना सिद्ध मंदिर है
यहां का मंदिर और तालाब आस पास के क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है यहां का तालाब पूरा पत्थर से पक्का तालाब बनाया गया है
इस मंदिर का निर्माण फूलपुर जमींदार थे जिन्हे सब राजा साहब बोलते थे उनका नाम श्री राजा राय बहादुर प्रताप केशरवानी था उनकी जमींदारी इस गांव तक आती थी एक
बार जब सन 1904 ई में सुखा पड़ा हुआ था उस समय लोग जब चकवड़ की रोटी खाते थे यह एक प्रकार घास की रोटी होती है
उस समय राजा साहब अपना कर और लगान उसूलने इस गांव में जब आए तब वहा के स्थनीय लोग आस पास के गांव के लोग उन्हें घेर लिया अपनी समस्या बताने लगे सुखा पड़ने की वजह अनाज उत्पादन नही हुआ था
तभी राजा साहब ने उसी समय पंडित को बुलावा कर कुआं खोदने के तारीख निकल वाई और मात्र दो दिन के अंदर गांव वालो ने मिलकर कुआ खोद कर उसमे से पानी निकल दिए एक कुंआ बनाने के बाद दो कुंआ का निर्माण तालाब के पास और हुआ फिर उसे के दौरान वहा तालाब की खुदाई राजा साहब करा रहे है थे उसी बीच राजा साहब मृत्यु होगी तब उस अधूरे काम को
उनकी पत्नी श्रीमती रानी गोमती केशरवनी ने पूरा करवाए सन 1913 में मंदिर और तालाब कार्य पूरा हुआ
इसलिए उसे तभी से रानी का तालाब नाम रख दिया गया
कहा जाता है राजा साहब ने औरतों को नहाने के लिए उस तालाब में जनाना घाट बनवाया जिसे बाहर से कोई नही देख सकता था आज भी वहा की ये कलाकृति जिंदा देखने को मिलती है
मंदिर के बाएं तरफ जहां कुआं का निर्माण हुआ था ठीक उसी बगल राजा का दो तल्ले की कोठी थी जोकि राजा की मृत्यु के बाद रानी वहा 3 या 4 विधवा औरतों को इस लिए रखती थी जो सुबह शाम पूजा करके ये कहने के लिए रखी गई थी जो रानी का धन खायेगा उसका वंश नही चलेगा भूखा पेट सोएगा |
और अंत में राजा साहब को कोई वारिश नही था
और हफ्ते में एक बार रानी और राजा साहब हनुमान जी महाराज का दर्शन करने आते थे और भोग में चांदी के सिक्के चढ़ाते थे |
कुछ साल बाद मुंगरा बादशाहपुर से सटे इठारहा गांव से एक पंडित जी आए जिनका नाम निर्माण मुनि था जो वहां रह कर हनुमान जी महाराज की सेवा करने लगे और गांवो वाले उनके भोजन के लिए सिधाहा पिसान की व्यवस्था कर दिया कर थे उनके व्यवहार से गांव वाले अत्यंत प्रभावित थे उन्होंने काफी साल तक हनुमान जी महाराज की सेवा की ।
वो मंदिर के गेट पर एक मटका रखते थे जिसमे प्रयागराज की तरफ से आने वाला हर दूध वाला उनके मटके थोड़ा थोड़ा दूध डाल दिया करता था और मंदिर जो भी कोई आ जाए उसे बिना दूध ,दही मट्ठा खाना पीना खाए पिए बिना जाने नही देते थे उनका देहांत हो गया मंदिर के बगल में उनकी समाधि बनी हुई है
यह मंदिर छोटे हनुमान जी महाराज और रानी का तालाब के नाम से मनोकामना सिद्धि और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है
This knowledge comes under a historical epigraphy sources it should be preserved and shared to every future generations to know the importance of a monument. A precious knowledge with well defined language beautiful ❤️keep it up👍
ReplyDeleteBest place where you find lots of peace.
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