प्रयागराज जिला समेत आसपास क्षेत्र मे शुक्रवार दोपहर को आसमान में एक अद्भुत घटना नजर आई, जिसमें सूरज के चारों ओर एक गोला बना नजर आया। यह गाेला करीब 1 घंटे तक बना रहा, जो लोगों में चर्चा का विषय बना रहा। जब हमने इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि ऐसी आसमानी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं और वैज्ञानिक इसे हेलो इफेक्ट(Halo Sun Phenomenon) कहते हैं।
प्रयागराज और आस पास के क्षेत्र में सुबह 11:45 बजे से करीब 1 बजे तक आसमान में सूरज के चारों ओर यह रिंग बनी नजर आई। लोगों को आसमान में बड़े से गोल घेरे में सूर्य को देखा तो ये नजारा मोबाइल व कैमरों में कैद कर सोशल मीडिया पर शेयर कर दी। इसके बाद काफी लोगों ने घरों व ऑफिसों से बाहर निकलकर आसमान में सूर्य को देखने लगे। जैसे-जैसे तापमान बढ़ा वैसे-वैसे गोल घेरा कम होने लगा। यह घेरा करीब एक घंटे तक रहा।
क्या है हेलो इफेक्ट?
वैज्ञानिकों के अनुसार सूरज के चारों ओर बना यह गाेला सूर्य और चंद्रमा का गोलाकार प्रभामंडल होता है, जो 22 डिग्री एंगल पर एक-दूसरे से मिलते हैं। यह दृश्य सूर्य या चंद्रमा की रोशनी पर नहीं, बल्कि एटमॉस्फेरिक आइस क्रिस्टल और लाइट के रिफ्लेक्शन से बनता है। इस घटना को 22 डिग्री हेलो इफेक्ट कहते हैं। ये इफेक्ट साल के 365 दिनाें में से करीब 100 दिन नजर आता है।
कई जगह पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
1 जून 2019 : सतारा (महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र में सतारा जिले के पाटन कस्बे में 1 जून 2019 को दोपहर 12.00 बजे में सूरज के चारों तरफ ऐसी ही रिंग नजर आई थी।
24 जुलाई 2019 : काेटा (राजस्थान)
राजस्थान के कोटा जिले में 24 जुलाई को सवेरे 11 बजे आसमान में हैलो इफेक्ट्स से सूरज के चारों और गोलाकार रिंग बनी नजर आई थी।
देशी मान्यताए ।
भारत में , सूर्य के चारों ओर के प्रभामंडल को इंद्रसभा कहा जाता है, जिसका अर्थ भगवान इंद्र के विधानसभा दरबार से है - बिजली, गरज और बारिश के हिंदू देवता । हमारे गाँव मे कहा जाता है की जब ये दृश्य बनता है तो इसका मतलब है की सभी ग्रहों की इन्द्र के यंहा बैठक हुई है और जल्द ही बारिश होगी ।
बड़े-बुजुर्गों के पास इस तरह की आकाशीय घटनाओं से जुड़े कई किस्से और कहानियां भी मौजूद होती हैं। उनकी मानें तो सूर्यदेव सभी ग्रहों के राजा हैं और वो जब अपनी कचहरी लगाते हैं तब बाकि सभी ग्रह उनके आरो-चारों आकर बैठ जाते हैं। इसकी वजह से सूर्य एक चमकीले घेरे में नजर आता है। इस तरह की सभा लगाकर वो आपस में अपने साम्राज्य की कुशलता पर चर्चा करते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार इसलिए हुई ऐसी घटना
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जब वातावरण में धूल के अतिसूक्ष्म कणों की मात्रा अधिक हो जाती है, तो उसका संपर्क पर्याप्त नमी से हो जाता है। सूरज की किरणों के टकराने पर धूल कण के संपर्क में आने वाली नमी किरणों को बिखरा कर एक इंद्रधनुष का घेरा बनाती है। जिससे सूर्य की रोशनी का रिफ्लेक्शन चेंज होता है और यह प्रक्रिया हमें गोल घेरे के रूप में दिखाई देती है। यह बिल्कुल साधारण घटना जो अधिकतर विश्व मे अलग अलग जगहों पर देखी जाती है ।