राम नवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष नावे दिन पड़ता है जो की अंग्रजी कैलेंडर के हिसाब से मार्च के अंतिम और अप्रैल के पहले सप्ताह में पड़ता है
हिंदू नव वर्ष अर्थात (वर्ष प्रतिपदा) को हम चैत्र शुक्ल पक्ष के पहले दिन से मनाते है चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथम दिन से ही नवरात्रि का आरंभ हो जाता है नवरात्रि में बहुत से भक्त माता रानी का उपासना एवं उपवास रखते है पूजा पाठ भजन कीर्तन एवं देवी का पचरा गाते है नौ देवी के नाम कुछ इस प्रकार है
1 शैलपुत्री
2 ब्रह्मचरणी
3 चंद्रघंटा
4 कुष्मांडा
5 स्कंदमाता
6 कात्यायनी
7 कालरात्रि
8 महागौरी
9 सिद्धदात्री
इस प्रकार नवरात्रि की नौ माताओं की आराधना की जाती है नौ दिन अलग अलग माता की आराधना पूजा पाठ किया जाता है।
मान्यता के अनुसार कुछ लोग नवरात्रि के प्रथम और अष्टमी के दिन व्रत रखते है और कुछ भक्त नौ दिन का व्रत रखते है
चैत्र शुक्ल पक्ष से ही हिंदी पंचांग नया बदलता है
माना जाता है की इसी दिन से ब्रह्मा जी पूरे सृष्टि की रचना
की थी तभी से हमारे वैदिक ऋषि और मुनियों ने इस दिन से ही चैत्र शुक्ल पक्ष दिन से नव वर्ष की गणना करतें
है हिंदी नव वर्ष चैत्र वर्ष प्रतिपदा की शुरुवात सभी लोगो की जीवन एक नई
खुशियां एवं उल्लास लेके आता है। नव वर्ष के दिन हम अपने घरों पर मित्रो पड़ोसियों गरीबों को बुलाके उनके लिए भोजन की व्यवस्था कराते है। और नव वर्ष आते ही किसानों के खेत में फसले कटने के लिए तैयार हुई रहती है
पेड़ो डालियों पर पुरानी पत्तियां झड़ के नई पत्तियां आ जाती है वातावरण में मौसम एक दम साफ़ रहता है । आसमान एक दम नीले एवं साफ दिखाई देते है। न ज्यादा ठंडी रहती है न ज्यादा गर्मी रहती है मानो ऐसा लगता है की हमारी प्रकृति भी नव वर्ष माना रही हो
हमारे सैकड़ों हजारों वर्ष पहले वैदिक ऋषि मुनियों ने हमे सिखाया था की जब भी कुछ विशेष दिन नव वर्ष त्यौहार या माता पिता की पुण्यतिथि या जन्मदिन आए तो ऐसी आदि चीजों पर हमे पेड़ और पौधारोपण करना चाहिए क्युकी हमारे ऋषि मुनियों का मनाना है की पेड़ और पौधे हमारे लिए प्राणवायु देता है ।
1 नवमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता। मध्य दिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक बिश्रामा.।
भावार्थ : पवित्र चैत्र का महीना था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न बहुत सर्दी थी, न धूप (गरमी) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देनेवाला था।
चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा नव वर्ष से ठीक नावे दिन राम नवमी पड़ती हैं ये त्यौहार धर्म शास्त्रों के अनुसार राम नवमी
के दिन मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम जी का जन्म हुआ था।
राम नवमी पिछले कई हजारों साल से मनाया जा रहा है।
हिन्दू धर्म का सबसे प्रिय और महत्वपूर्ण त्यौहार है।
ये सबसे सम्मानित और प्रिय देवताओं में से एक भगवान श्री राम जी का जन्मदिन मनाया जाता है और जब श्री राम जी का जन्म हो जाता है।
2 सुनि सिसु रुदन परम प्रिय बानी। संभ्रम चलि आईं सब रानी
हरषित जहँ तहँ धाईं दासी। आनँद मगन सकल पुरबासी॥
भावर्थ: बच्चे के रोने की बहुत ही प्यारी ध्वनि सुनकर सब रानियाँ उतावली होकर दौड़ी चली आईं। दासियाँ हर्षित होकर जहाँ-तहाँ दौड़ीं। सारे पुरवासी आनंद में मग्न हो गए।
3 जाकर नाम सुनत सुभ होई। मोरें गृह आवा प्रभु सोई॥
परमानंद पूरि मन राजा। कहा बोलाइ बजावहु बाजा॥
भावार्थ: जिनका नाम सुनने से ही कल्याण होता है, वही प्रभु मेरे घर आए हैं। (यह सोचकर) राजा का मन परम आनंद से पूर्ण हो गया। उन्होंने बाजेवालों को बुलाकर कहा कि बाजा बजाओ।
इस दिन राम मंदिरों में विशेष प्रकार की पूजा अर्चना करते है श्री राम का ये जन्मोत्सव पूरे भारत में मनाया जाता है पर राम जन्म भूमि अयोध्या में बड़े धूम धाम और हर्षोल्ललास से मनाया जाता है राम नवमी के दिन अयोध्या में भव्य एवं सुंदर मेले का आयोजन किया जाता है दूर दूर से साधु सन्यासी भी राम जन्म उत्सव मनाने आते है इस दिन हिंदू परिवारों में विशेष प्रकार पूजा पाठ भजन कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है
और श्री राम जी की प्रतिमा को रथ पर रख के भव्य शोभा यात्रा निकालते है।
अयोध्या कौशल राजा दशरथ रानी कौशल्या के गर्भ में जन्म के माध्यम से विष्णु जी के सातवे अवतार श्री राम जी को माना जाता है । इस प्रकार हमारे भारत में ये पर्व और त्यौहार विशेष प्रकार से भव्य मनाया जाता है।
4 जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥
भावार्थ-योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गए। जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए। (क्योंकि) राम का जन्म सुख का मूल है॥
Great knowledge and info abt chaitra navratri
ReplyDeleteJAY SHREE RAM
ReplyDeleteJAY SHREE RAM
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