महुआ नाम सुनकर हमे अपने बचपन के दिन याद आना लगता है | गर्मियों के समय मे होने वाला फूल है जो बहुत ही मिठास वाला फूल है | हम अपने महुये बाग मे जाते और वह देखते की कैसे पूरा बाग के पेड़ पीले फुले लदा हुआ है और जमीन पर चारो तरफ पीले ही पीले फूल गिरे हुए है | उस समय का दृश्य बहुत ही ज्यादा आँखों को सुकून देने वाला था| यह फूल सुबह खिलता जब सूर्य भगवान जी अपनी आँखे नही खोले रहते है तब यह फूल खिलता है और जैसे जैसे सूर्य भगवान जी अपनी आँखे खोलने लगते है मतलब जैसे जैसे सूर्य की किरणें पड़ने लगती वैसे वैसे ये सारे फूल झड़ जाते है| हमे आज भी याद जब हम बगीचे ये फूल लेके आते थे तो हमारी मम्मी इसका बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट पूडिया और इस फूल की रोटिया बनाती थी| ये इतना खाने मे स्वादिष्ट लगता है बन जाने के बाद की खाके बहुत अच्छा लगता है | हम इस फूल सीधे भी खाते जो खाने मे बहुत ही ज्यादा मीठा होता है|
इसके पेड़ की पत्तियो से हमारे गाँव मे नानी के घर और भी जगह दोना और पत्तल बनाया जाता है जब किसी के घर किसी कोई शुभ कार्य होता था तो सभी को इसी दोना और पत्तल मे भोजन कराया जाता था और भी बहुत शुभ कार्य के लिए प्रयोग किया जाता है अभी भी हमारे गाँव और भी जगह कुछ लोग यही दोना पत्तल बनाकर अपना बेचते और अपना जीवन यापन करते है | आज भी जब हम अपने गाँव जाते है तो पुराने दिन याद आ जाते है|
आईये हम जानते है की इस पेड़ से जुड़ी कुछ बाते:
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत - Plantae
विभाग - Magnoliphyta
वर्ग -Magnolipsida
गण - Ericales
कुल - Sapotaceae
वंश - Madhuca
जाति - M.longifoliya
वृक्ष
महुआ भारत के सभी भागो मे पाया जाने वाला वृक्ष है| यह पहाड़ों पर मैदानों मे सभी जगह पाया जाता है ये वृक्ष पहाड़ों पर तीन हजार की ऊँचाई तक पाया जाने वालाे मे से एक है | यह अपने विशालकाय वृक्ष के लिए प्रसिद्ध है | इसकी पत्तियाँ चौडी और नुकीली हरे रंग और कुछ कुछ भूरे रंग की होती है| हिमालय की तराई, पंजाब, के अतिरिक्त सारे उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत के जंगल मे पाए जाते है जिसमे वह खुलें से बढ़ते है| पर पंजाब के सिवाय बागो के, और कही नही लगाया जाता है| इसका पेड़ ऊँचा और चारो तरफ से घिरा होता है| इस पेड़ की पत्तियाँ, लकड़ी, फूल और बीज सब काम आते है | यह सब प्रकार की भूमि मे पाया जाता है|
प्रजातियां
हमारे भारत मे इसकी बहुत प्रजातियां पायी जाती है| दक्षिण भारत मे इसकी कुल 12 प्रजातियां पायी जाती है | इस पेड़ की प्रजातियां को सघन वन बनाने के लिए लगाया जाता है| ऋषिकेश, अश्विनकोस और जटायुपुष् ये महुये मुकाबले कम समय मे ही जैसे चार पांच वर्ष मे ही फल फूल देने लगते है | तथा इस पेड़ की पत्तियाँ फूलने से पहले ही झड़ जाती है पत्तियों के झड़ने से ही इसके सिरो पर डालियो पर गुच्छे निकलने लगते है | जिसमे कुर्ची के आकर का फूल खिलता है जो की सफेद रंग का होता है और अंदर जीरे होते है | जिसे हम महुआ कहते है कुर्ची के आकर के होने के कारण इसको कुर्चीयना भी कहते है | महुये का फूल लगातार गिरता ह जिसमे चीनी जैसी मिठास होती है | जिसे पशु, पक्षी, और मनुष्य बड़ी ही चाव से खाते है और इस महुवे के फल का आनंद लेते है |
फूल
महुये के पेड़ के जब पत्तियाँ झड़ने लगती है तो पेड़ की डलियो मे गुच्छो मे ये फूल कलियों की तरह लगने लगते है |
ये फूल पीले रंग के होते है | जो की पूरी पेड़ मे लगे रहते है | इस फूल से खुशबू भी आती है जिससे पूरा बगीचा महक उठता है |
इसका फल परवल के आकर का होता है | जो की हरे रंग मे पाया जाता है जब इस पेड़ के फूल गिर जाते है सारे तब इसमें इसमें हरे रंग का फल निकलता है इस फल को कालिंदी कहते है इस फल को छीलकर, उबालकर, और इसमें से बीज निकालकर इस फल की सब्जी बनाई जाती है | जो की बहुत स्वादिष्ट बनता है | इस फल के बीज को हमारे गांंव और प्रयागराज मे कोया (Koeya) कहते है| जिससे हमे एक दूसरे को जोड़ता है |
बीज
इस पेड़ मे जो फल निकलता है उसको जब हम छिलते है तो उसमे से बीज निकलता है जो की भूरे रंग का होता है | इसी बीज को हम प्रयाग वासी कोया कहते है | इस पेड़ के बीज से तेल निकलता है महुये के बीज का तेल स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है और यह वसा का अच्छा स्रोत है | यह कोया हमारी सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है|
उपयोग
महुये के हर हिस्सा बहुत ही लाभदायक है और इसमें पोषक तत्व मौजूद है | गरम क्षेत्रों मे इसकी खेती लकड़ियों के लिए की जाती है और इसके फल का प्रयोग हम सब्जी बनाने के लिए करते है | इसके बीज का प्रयोग हम साबुन डिटर्जेंट बनाने मे भी करते है और इसके बीज के तेल का प्रयोग हम दवा बनाने मे भी करते है| महुये के फूल का प्रयोग हम व्रत मे खाने के लिए भी करते है और इस फूल से अपने घर मे खाने के लिए बहुत सी चीजे बनती है जैसे इसके फूल की पुरिया बनाई जाती है और महुये को मिलाकर हम रोटियाँ बनाते है जो की बहुत स्वादिष्ट होती है | कई क्षेत्रो मे इस पेड़ का उत्पादन शराब के लिए भी किया जाता है और कई भागो मे इसका प्रयोग औषधि के लिए भी करते है | इसकी छाल को औषधि प्रयोजनों के लिए भी करते है | कई आदिवासियों मे इसकी प्रयोजनों के आधार पर इसको आदिवासी समुदाय इसको पवित्र मानते है और इस वृक्ष की पूजा करते है |
महुये का फल, फूल, बीज, छाल, पत्तियाँ और पेड़ का सभी तरीके से आयुर्वेद मे प्रयोग किया जाता हैं| जो हमारे मानव जीवन के लिए काफी लाभकारी सिद्ध होता है |