हिंदू पंचांग के अनुसार , चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नया हिंदू नववर्ष प्रारंभ हो जाता है। 13 अप्रैल, मंगलवार से नवसंवत्सर 2078 का शुभारंभ हो रहा है। चैत्र का महीना हिंदू कैलेंडर का पहला महीना माना जाता है। चैत्र प्रतिपदा से नवरात्रि का पर्व भी आरंभ होता है। चैत्र ही एक ऐसा माह है जिसमें वृक्ष तथा लताएं पल्लवित व पुष्पित होती हैं। इसी मास में उन्हें वास्तविक मधुरस पर्याप्त मात्रा में मिलता है। नवसंवत्सर शुरू होने के साथ ही सभी शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं । इसे भारत में बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसे मुख्य पर्वों में से एक माना जाता है। महाराष्ट्र और मध्य में इस दिन को गुड़ी पड़वा पर्व के रूप में मनाया जाता है। वहीं, दक्षिण भारत में इस मौके पर उगादि के रूप में मनाया जाता है।
पंजाब - बैशाखी
आंध्रप्रदेश - उगादी (युगादि=युग+आदि का अपभ्रंश)
तमिलनाडु और केरल - विशु
कश्मीर - नवरेह
महाराष्ट्र - गुड़ी पड़वा
कन्नड कर्नाटक - उगाडी
बंगाली - पोहेला बैसाखी
नवरात्र के 9 दिनों में आदिशक्ति दुर्गा के 9 रूपों का भी पूजन किया जाता है। माता के इन 9 रूपों को 'नवदुर्गा' के नाम से जाना जाता है। नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा के जिन 9 रूपों का पूजन किया जाता है,
- पहला शैलपुत्री,
- दूसरा ब्रह्मचारिणी,
- तीसरा चंद्रघंटा,
- चौथा कूष्मांडा,
- पांचवां स्कंदमाता,
- छठा कात्यायनी,
- सातवां कालरात्रि,
- आठवां महागौरी
- नौवां सिद्धिदात्री
शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही चंद्र की कला का प्रथम दिवस है। अतः इसे छोड़कर किसी अन्य दिवस को वर्षारंभ मानना उचित नहीं है। संवत्सर शुक्ल से ही आरंभ माना जाता है, क्योंकि कृष्ण के आरंभ में मलमास आने की संभावना रहती है जबकि शुक्ल में नहीं। ब्रह्माजी ने जब सृष्टि का निर्माण किया था तब इस तिथि को 'प्रवरा' (सर्वोत्तम) माना था। इसलिए भी इसका महत्व ज्यादा है।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :
1) इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
2) सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
3) प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
4) शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
5) सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।
6) स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया।
7) सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
8) राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।
9) युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
10) संघ संस्थापक प.पू.डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन।
11) महर्षि गौतम जयंती
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :
1) वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
2) फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
3) नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।