मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
नवरात्री मे माता के नवरूपो की पूजा अर्चना की जाती है। उसमे नवे दिन हम माँ सिद्धिदात्री की पूजा करते है।
माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली है। नवरात्रि के नवे दिन हम माँ सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करते है। इस दिन विधिवत पूजा अर्चना और पूरी निष्ठा से करने से सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती है।
माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली है। माँ कहते है माता सिद्धिदात्री कठोर तपस्या करके आठ सिद्धियाँ प्राप्त की थी। नवरात्रि के आखिरी दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माता को बैंगनी रंग बहुत पसंद है, इस दिन बैंगनी रंग का वस्त्र पहनकर पूजा करना चाहिए। यह रंग महत्व कांक्षो का प्रतीक माना जाता है।
माँ सिद्धिदात्री को हलवा, चना, पुडी का भोग अधिक प्रिय है। माँ सिद्धिदात्री कमल के पुष्प पर विराजमान है। इनका वाहन सिंह है।इनकी चार भुजाए है , वह एक दाएँ हाथ मे गदा दुसरे दाएँ हाथ मे चक्र धारण किये हुए हैं। माता सिद्धिदात्री एक बाये हाथ मे कमल तथा दूसरे बाये हाथ मे शंख धारण किये हुए है। सिर पर ऊँचा मुकुट और चेहरे पर मंद मुस्कान है।
इसी मंद मुस्कान से माँ सिद्धिदात्री की पहचान है। माँ दुर्गा के अंतिम स्वरूप के साथ ही नवरात्रि की आराधना को समापन किया जाता है। नवरात्रि का अनुष्ठान पूरा किया जाता है।